School Love Story In Hindi | दिल को छूने वाली प्रेम कहानी (2023)

 

हेलो दोस्तो आपका स्वागत है  में, दोस्तो जब हम स्कूल में पढ़ते थे। वो दिन आज हमको बहुत याद आते है। उन दिनों को याद करते ही हमारे दिल में एक अजीब सा एहसास खुशी आ जाती है। अपने स्कूल के दिनों में किसी लड़के ने किसी लड़की को अपना दिल न दिया हो ऐसा हो ही नही सकता । इसलिए पुराने दिनों की याद ताजा करने के लिए मैं  की पोस्ट में आपके सामने पेश कर रहे हैं। स्कूल टाइम लव स्टोरी ताकि आप इन स्टोरी को पढ़कर अपने स्कूल लव को याद कर सकें।

यह कहानी शुरू होती है, जब तरुण महज 9 साल का था। तरुण पढ़ने में ठीक था। परंतु वह संगीत में अधिक रुचि रखता था। संगीत के बिना उसका दिन निकलना मुश्किल था। उसे गाना सुनना, गाना गाना और बजाना बड़ा पसंद था। उसकी पसंद गहरी और अतुलनीय थी। तरुण स्कूल के दिनों में घर पर बहुत रियाज करता था।

एक दिन स्कूल में वार्षिक उत्सव मनाया गया। इसमें तरुण ने अपने गाने की प्रस्तुति से सबका मन जीत लिया। सभी खड़े होकर काफी देर तक तरुण के लिए तालियां बजाते रहे। तरुण के कुछ देर बाद ज्योति की परफॉर्मेंस का नंबर आया। ज्योति ने भी काफी सुंदर गाना गाया। कार्यक्रम के अंत में तरुण और ज्योति को बराबर पुरस्कार दिया गया। तरुण के परिवार में कोई और गाना नहीं गाता था। परंतु ज्योति के पापा बड़े गायक कलाकार थे। वे भी उस कार्यक्रम में तरुण को गाना गाते देख रहे थे।

कुछ दिनों बाद ज्योति के पापा रवि शास्त्री ने ज्योति से कहा, “बेटा तुम्हारी स्कूल में जो लड़का था, क्या नाम था उसका ? ज्योति ने तुरंत कहा, “तरुण” पिता ने कहा, “हां तरुण” मैं उससे मिलना चाहता हूं। तुम उससे अपने घर लेकर आओ किसी दिन। ज्योति ने कहा, “ठीक है मैं उसे बोलती हूं।

एक दिन ज्योति ने तरुण से कहा, “तरुण, तुम्हारा गाना मेरे पापा को बड़ा अच्छा लगा और वे तुमसे मिलना चाहते हैं। तरुण को ज्योति के पापा के बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था। तरुण ने कहा, परंतु, मैं कैसे मिल सकता हूं? पढ़ाई के बाद के समय में मैं गाने का रियाज करता हूं। ज्योति ने कहा, इसीलिए तो कह रही हूं। कि तुम पापा से मिल लो।

तुम्हें फायदा हो सकता है। तरुण ने आश्चर्य से पूछा, वो कैसे ? ज्योति ने कहा, अरे, मेरे पापा अच्छे गायक कलाकार हैं। बड़े सिंगर हैं। तुम्हारी आवाज उन्हें पसंद है, इसलिए वह तुमसे मिलना चाहते हैं। तरुण ने कहा, अरे, वाह ! यह तो मुझे पता ही नहीं था। पर क्या तुम्हारे पापा मेरी संगीत शिक्षा को बढ़ा सकते हैं? मुझे और बहुत कुछ सीखना है। क्या तुम्हारे पापा मेरी मदद करेंगे !

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ज्योति ने कहा, क्यों नहीं तुम एक बार मिल कर बात कर लो। तरुण ने कहा, फिर तो मै आज स्कूल के तुरंत बाद ही यह काम करूंगा। शाम को तुम्हारे घर आता हूं। ज्योति और तरुण स्कूल खत्म कर ज्योति के घर पहुंचे। ज्योति ने सभी से तरुण का परिचय करवाया। ज्योति ने तरुण को अपने पापा से मिलाया तभी तरुण ने ज्योति के पापा के चरण स्पर्श किए और प्रणाम किया।

ज्योति के पापा ने कहा, तुम्हारी आवाज अच्छी है। तुम चाहो तो इसे और बेहतर बना सकते हो। तरुण ने कहा, “हां” मैं इसे और बेहतर बनाना चाहता हूं। ज्योति के पापा ने कहा कि तुम रोज शाम को ज्योति के साथ यहां पर आया करो। मैं, तुम्हें संगीत की शिक्षा दूंगा। ज्योति को यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। क्योंकि कहीं ना कहीं ज्योति भी तरुण की आवाज के साथ तरुण के स्वभाव को पसंद करती थी। अब दोनों स्कूल खत्म करके साथ-साथ ज्योति के घर जाते और घर जाकर संगीत की शिक्षा लेते। दोनों की आपसी गहरी दोस्ती हो चुकी थी।

पूरे दिन भर ज्योति, तरुण के साथ ही बिताती है। क्योंकि, उसे तरुण के साथ वक्त बिताना बहुत ही अच्छा लग रहा था। कुछ महीनों में तरुण संगीत में और भी ज्यादा माहिर होता चला गया। ज्योति भी अपने संगीत को निखार रही थी और प्यार के सपने सजा रही थी।

एक दिन जिला स्तर पर संगीत का कंपटीशन था। तब ज्योति के पापा ने तरुण और ज्योति दोनों का उस कंपटीशन के लिए आवेदन करवा दिया। तरुण ने उस कंपटीशन में धमाकेदार प्रस्तुति दी और पूरे जिले में तरुण का नाम गूंजने लगा। अब पूरे जिले में तरुण और ज्योति को लोग जानने लगे। लोग कहने लगे यह भविष्य में बड़े सिंगर बनेंगे। दोनों की जोड़ी को सभी लोग पसंद करते थे। धीरे-धीरे ज्योति और तरुण का प्यार गहरा होता चला जा रहा था।

ज्योति के पापा को भी इन दोनों की जोड़ी बहुत पसंद आने लगी। इन दोनों की परफॉर्मेंस ने तो लोगों को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रखा था। ज्योति के पापा इस नए संबंध से बड़े खुश थे। वह बड़े होकर दोनों एक “लवर सिंगर कपल” के नाम से फेमस होते चले गए। जब उनकी उम्र शादी जितनी हुई। सभी लोगों ने शादी के लिए कमेंट करना शुरू कर दिया। अब ज्योति और तरुण ने अपने प्यार का इजहार करते हुए शादी कर ली। एक स्कूल से शुरू होकर प्यार की कहानी “लवर सिंगर कपल” तक पहुंच गई।


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मेरा एक दोस्त था, जिसका नाम अमित था। अमित पढ़ाई में बहुत होशियार था। वो एक गरीब घर से था, देखने में भी सुंदर था, हर समय पढ़ते रहना उसे अच्छा लगता था। और स्कूल के शिक्षक भी अमित को पढ़ता हुआ देख बहुत खुश होते थे। वो हमारे स्कूल का टॉपर बच्चा था। अमित अपने माता-पिता की एक ही सन्तान थी और वो अमित को बहुत प्यार करते थे। अमित हमारे स्कूल का सबसे सुंदर लड़का था। कक्षा की सब लड़कियां उसकी दीवानी थी।

अमित की नशीली आँखें हर किसी को अपनी और आकर्षित करती थी। अमित बहुत ही अच्छा लड़का था। हर कोई उसकी तारीफ़ करता था। बात उस समय की है जब हम 10वी कथा में पढ़ते थे। गर्मी की छुट्टियों के बाद जब स्कूल खुले तो हम सब ने स्कूल जाना शुरू किया था और पहले ही दिन अमित की टक्कर स्कूल में आई एक सुंदर सी लड़की के साथ हो जाती है। वो लड़की अमित को बहुत भला-बुरा कहती है लेकिन अमित उसको ही देखता रहा और मुस्कुराता रहा।  

जब हम अपनी कक्षा में गए तो आगे वो लड़की हमारी ही कक्षा में थी। दरअसल हमारे शहर में उसके पिताजी की बदली हुई थी और इसलिए अपनी 10वी की पढ़ाई पूरी करने के लिए उसने हमारे ही स्कूल में दाख़िला लिया था। उस सुंदर लड़की का नाम प्रिया था। प्रिया भी पढ़ने में अमित की तरह ही थी। अमित ने जब प्रिया को अपनी ही कक्षा में देखा तो वो खुशी से झुमने लगा। शायद अमित को प्रिया से प्यार हो गया था। 

कक्षा में अमित का हमेशा ध्यान प्रिया पर ही रहता था और छुट्टी के समय भी गेट पर प्रिया का इंतज़ार करते रहता था। प्रिया को इस बात की भनक भी नही थी कि अमित उसे पसंद करता है। एक दिन जब अमित के दोस्तों ने मजबूर किया कि वह जाकर प्रिया को प्रपोज़ करे। तो अमित भी बहुत हिम्मत जुटाकर प्रिया के सामने जाकर खड़ा हो गया, और उसके सामने दोस्ती का प्रस्ताव रखा, लेकिन सोनाली बहुत ही गुस्से से बोली की मैं तुम जैसे मिडिल क्लास लड़कों से नफरत करती हूँ और ये कहकर वह वहाँ से चली गई।

अमित एक दम टूट गया था वह चुप-चुप रहने लगा था, ना दोस्तों के साथ मस्ती, न ही अब वो प्रिया को देखता था। बस अंदर ही अंदर रोता रहता, एक दिन जब शाम को अमित अपने पास की दुकान पर घर का कुछ सामान लेने गया था तो वहाँ एक औरत भी थी। जो काफ़ी थकी हुई दिख रही थी। और जैसे ही वह अपने घर को जाने लगी तो अचानक उनको चक्कर आ गया और वो ज़मीन पर गिर गई।  

अमित ने जल्दी से एम्बुलेंस को फ़ोन किया और उन्हें हॉस्पिटल ले गया। जैसे उस औरत को थोड़ा होश आया तो उसने अमित से कहा बेटा मेरे घर वाले परेशान हो रहे हो गये, उन्हें फ़ोन करके बता दो ही हम यहाँ है। अमित ने उस औरत से घर का नंबर लिया और फ़ोन किया फ़ोन एक लड़की ने उठाया जो और कोई नही बल्कि प्रिया थी और वो औरत प्रिया की माँ थी।   

प्रिया अपने पिताजी के साथ हॉस्पिटल में पहुंच गई थी। जैसे ही वो अपनी माँ के पास जाती है तो पास में खड़े अमित को देखकर हैरान हो जाती है और प्रिया की माँ प्रिया को कहती है कि अगर आज यह लड़का नही होता तो शायद मैं आपके साथ नही होती।

माँ की यह बात सुनकर प्रिया रो पड़ती है। अमित प्रिया के माता-पिता को प्रणाम करके घर वापिस आ जाता है। दूसरे दिन जब अमित स्कूल में पहुँचता है। तो प्रिया गेट पर उसका इन्तजार कर रही होती है। अमित जैसे ही उसके पास पहुँचता है। वह अमित का हाथ पकड़कर अपने साथ स्कूल से बाहर ले जा



ती है और उससे माफी मांगती है।

अपनी उस दिन की गलती के लिए अमित उसे माफ़ कर देता है। आज प्रिया उसे प्रपोज़ करती है और अमित हाँ कहकर उसे अपने गले लगा लेता है, और दोनों एक- दूसरे का हाथ पकड़कर स्कूल में जाते है।

यह कहानी  हरिद्वार के रोहित  की हैं। रोहित अपने माता-पिता, और एक बहन के साथ हरिद्वार में ही रहा करता था। उनके पिताजी हरिद्वार में ही आइसक्रीम के ठेले लगाकर आइसक्रीम बेचा करते थे और रोहित पढाई किया करता था । 

 रोहित एक दिन स्कूल से आने के बाद बगल के ही  दुकान में मसूर के दाल लाने के लिए गया हुआ था । उसी किराना दुकान में रोहित के मुलाकात मुस्कान से हुई । मुस्कान भी अपने भाई के साथ उसी दुकान से मसूर का ही दाल लेने आई थी। उस वक्त ना तो रोहित मुस्कान को जानता था और नहीं मुस्कान रोहित को जानती थी।

रोहित के लिए वह पहला मुलाकात ही मोहब्बत वाला एहसास दिलाने के लिए काफी था। उस वक्त मुस्कान को देखकर रोहित कहीं खो सा गया था। वह उस समय उसकी सोच मे  इतना खो गया था की उसे पता ही नही चला कि वह लड़की दुकान से कब के जा चुकी है। उस लड़की के दुकान से चले जाने का  एहसास  तब हुआ जब दुकान वाले ने रोहित से दाल के पैसे मांगे। “अरे वह लड़की तो यहां से जा चुकी है।” रोहित खुद से बुदबुदा कर बोला । 

रोहित  दुकान से निकलने के बाद इधर-उधर देखा मगर वह लड़की कहीं नहीं दिखी।उस रात रोहित उस लड़की के चेहरे को अपने आँखों में ही छूपा कर सो गया था और जब वह सुबह उठा तो उसके बारे में हो सोचता उठा। जब वह शाम में अपने घर के पास खेल रहा था तब उसकी नजर एक बार फिर से उस लड़की पर पड़ा । मुस्कान अपनी  दादी के साथ उसके घर वाली गली से गुजर रही थी। रोहित को मुस्कान के बारे में पहले से कोई जानकारी नही था।

रोहित उसके घर के बारे में भी कुछ नही जानता था। यही कारण था कि उस दिन रोहित उसकी दादी और मुस्कान का  पीछा करते-करते मुस्कान के घर तक चला गया था ।रोहित जब भी स्कुल से पढ़ कर वापस अपने घर आता था तो सबसे पहले किताब रख कर मुस्कान के घर का एक चक्कर अवश्य लगा लेता था। ताकि मुस्कान की एक झलक देखने को  मिल जाये । 

उसी दिन उसने देखा शाम इवनिंग वॉक के लिए उसकी दादी हमेशा एक ग्राउंड में जाया करती थी और अपनी दादी के साथ मुस्कान भी रहती थी। उसे देख कर रोहित भी शाम में उसी मैदान में जाने लगा जहाँ मुस्कान अपनी दादी के साथ जाया करती थी।

उस दिन के बाद रोहित भी हमेशा इवनिंग वॉक के लिए  जाया करता था। जहां उसकी दादी अपने उम्रदराज के लोगों के साथ बैठकर गप्पे लड़ाया करती थी। वही दूसरी तरफ मुस्कान इन लोगों से थोड़ी दूर पर अकेली बैठे रहती थी । और रोहित भी कुछ दूरी पर बैठा रहता था। उस वक्त मुस्कान रोहित को कभी कभार देख लिया करती थी। मगर उसके तरफ से ऐसा कोई संकेत नहीं दिखती थी जिससे  लगे कि मुस्कान भी रोहित को पसंद करती हो।


उस वक्त रोहित 10th  क्लास में पढ़ता था। उसने अपने क्लास के ही एक दोस्त मनीष को अपनी सारी बातें बताया कि वह  किस तरह से एक लड़की को पसंद करता है और कहां रहती है। जब उसके दोस्त को ये सारी बातें पता चला तो उसके दोस्त ने इसका साथ दिया और अब  रोहित अपने  दोस्त के साथ मिलकर  मुस्कान के घर के तरफ दिन भर में 3-4 चक्कर लगाने लगे। 

इस तरह से मुस्कान के आगे पीछे चक्कर काटते रहने के  कारण मुस्कान को यह समझ में आने लगी थी कि  यह लड़का मुझे पसंद करता है और प्यार भी करता हैं। एक दिन रोहित  स्कूल से आने के बाद अपने पिता के आइसक्रीम वाले ठेले पर अपने छोटे भाई के साथ खड़ा था। उसके पापा नाश्ता के लिए घर चले गये थे।  उसी वक्त मुस्कान आइसक्रीम लेने के लिए उसके ठेले के पास आयी। मगर मुस्कान को वहां देखकर  रोहित शर्मा गया और आइसक्रीम मुस्कान को देने के लिए अपने भाई को बोल कर वहां से चला गया। 

रोहित को वहां से शर्मा कर भागने के कारण मुस्कान अच्छी तरह से समझ गयी थी कि रोहित उसे सचमुच में  मुझे पसंद करता है और प्यार  भी करता हैं। इस तरह से ही  कई महीने बीत जाने के बाद भी रोहित ने मुस्कान को प्रपोज नहीं किया। मगर दोनों को आंखों ही आंखों में प्यार हो गया था।अब मुस्कान भी रोहित को पसंद करने लगी थी। जब भी मुस्कान अपनी दादी के साथ इवनिंग वॉक पर जाती तो हमेशा इधर-उधर सड़को पर  रोहित को ही ढूढती जाती और जब उसकी नजर रोहित पर पड़ती , तो वह एक टक  से उसे देखती रह जाती थी ।

जब ग्राउंड में उसकी दादी  लोगों के साथ बैठकर बातचीत करती थी तब मुस्कान के सारा ध्यान रोहित पर ही रहता था। एक दिन उसके दोस्त मनीष ने कहा यार  हम लोग बहुत दिन से मुस्कान के पीछे पड़े हैं। और अब वह भी तुमको पसंद करने लगी है। तुम्हें अब मुस्कान को प्रपोज कर देनी चाहिए।  मगर रोहित उस वक्त कुछ नही बोल पाया  क्योकिं वह  अपने घर की स्थिति देखकर प्रपोज करने से डरता था।

उस वक्त रोहित के घर की हालात अच्छी नही थी । उस वक्त तो रोहित के पास ना तो कोई मोबाइल था, नहीं कोई गाड़ी  और नहीं पैसे जबकि दूसरी तरफ मुस्कान एक अच्छी घर की लड़की थी। उसके पास एक जावा फोन और हाल ही में उसने एक एक्टिवा स्कूटी भी खरीदी थी। कुल मिलाकर मुस्कान एक बड़े घर की लड़की थी। यही कारण थी कि  रोहित ने खुद को कई बार मुस्कान को प्रपोज करने के लिए हिम्मत कि मगर हिम्मत ही नही  जुटा पाया।

जबकि इतने महीनों में रोहित को अच्छी तरह से मालूम हो चुका था कि मुस्कान भी उसे पसंद करती है। मुस्कान कभी ग्राउंड  में मिला तो कभी अपने  घर की गलियारों में । इस तरह से 2 साल बीत जाने के बाद भी रोहित ने मुस्कान को प्रपोज नहीं किया।

एक दिन रोहित के पिता जी एक बीमारी के कारण इस दुनियां को छोड़ दिए । अपने पिता के मृत्यु  कारण रोहित पूरी तरह से टूट गया था । उसके घर को संभालने वाले सिर्फ उसके पिताजी ही थे। वही  घर की पूरी जिम्मेदारी को आइसक्रीम बेचकर उठाते । अब पिताजी के देहांत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी रोहित पर आ गया थी। । 

अब उसे अपने -बहन और मम्मी के  भरण पोषण की जिम्मेदारी थी। और उसे अपनी बहन के विवाह की भी  चिंता सताने लगी थी । घर में पहले से जो कुछ थोड़े बहुत पैसे थे वो सब पिता जी की बीमारी में खत्म हो गया था। अब उसने पैसे के लिए अपने आइसक्रीम के ठेले लगाने लगा मगर उससे उतनी कमाई नही होती थी जिससे की घर के खर्च उठा कर कुछ पैसे भी जमा कर सकें.फिर उसने एक दिन वह किसी दुसरे शहर जाकर पैसे कमाने के बारे में विचार करने लगा !

अपनी मजबूरियों के कारण  रोहित अपनी मोहब्बत को प्रपोज करने से पहले ही छोड़ देने का फैसला किया और खुद से वादा किया कि वह जल्द ही एक अच्छे मुकाम हासिल करेगा और फिर मुस्कान को प्रपोज करेगा। और अगर सारी चींजे  सही हो जाएगी तो वह विवाह का भी प्रस्ताव रखेगा।

 पिछले 2 साल से रोहित अपने घर के जिम्मेदारियों को संभालने में लगा था और उधर मुस्कान इन सब सारी चीजों से अनजान थी। मुस्कान जब  भी दादी के साथ ग्राउंड में जाती उसकी आंखें रोहित को ही ढूंढता और  उसे ना देखकर निराश हो जाती थी , रोहित के दोस्त मनिष को देख कर वह सोचती थी कि इससे रोहित के बारे में पुछू मगर कभी पूछने की हिम्मत ना जुटा पाती थी।

इधर रोहित दुसरे शहर जाकर अपने घर की जरूरते पूरी करने में ही व्यस्त हो चूका था। मगर इतने सालों में ऐसा कोई दिन नही बिता होगा।  जिस दिन रोहित  मुस्कान को याद ना किया हो, उसके बारे में ना नही  सोचा हो और  उसके साथ जीने- मरने  की सपने नही देखा हो। अब रोहित के पास सिर्फ दो ही काम है। एक अपने घर की जिम्मेदारियों को संभालना और दूसरा  मुस्कान के लिए सपने देखना।

मगर  इन सबके बीच उसे हमेशा एक अनजान सा  डर भी है कि कहीं मुस्कान अब उसे भूल तो नहीं गई होगी या फिर उसके घर वाले कहीं अलग शादी ना कर दिया हो । क्योंकि रोहित  पिछले 3 साल से ना तो मुस्कान से मिला है और नही उससे बात किया किया है



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