सोरसन का इतिहास:
राजस्थान में यूं तो कई तीर्थ स्थान हैं, लेकिन सोरसन का तीर्थ स्थल खास हैं। बारां जिला मुख्यालय से 28 किमी दूर सोरसन में ब्रह्मणी माता का प्राचीन मंदिर हैं। यहां ब्रह्मणी माता का प्राकट्य करीब 700 वर्ष पहले हुआ बताया जाता है। यह मंदिर पुराने किले में स्थित हैं और चारों ओर ऊंचे परकोटे से घिरा हुआ है। इसे गुफा मंदिर भी कहा जा सकता है। मंदिर के तीन प्रवेश द्वारों में से दो द्वार कलात्मक हैं। मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वाभिमुख है। परिसर के मध्य स्थित देवी मंदिर में गुम्बद द्वार मंडप और शिखरयुक्त गर्भगृह है। गर्भगृह के प्रवेश द्वार की चौखट 5 गुणा 7 के आकार की है, लेकिन प्रवेश मार्ग 3 गुणा ढ़ाई फीट का ही है। इसमें झुककर ही प्रवेश किया जा सकता हैं, इसलिये पुजारी झुककर ही पूजा करते हैं। मंदिर के गर्भगृह में विशाल चट्टान है। चट्टान में बनी चरण चौकी पर ब्रह्माणी माता की पाषाण प्रतिमा विराजमान है।
इस मंदिर की मुख्य विशेषता: अग्रभाग की पूजा ना होकर पृष्ठ भाग (पीठ) की पूजा-अर्चना होती है!
यह दुनिया का पहला मंदिर है, जहां देवी विग्रह के पृष्ठ भाग को पूजा जाता है। यहां देवी की पीठ का ही श्रृंगार होता है और भोग भी पीठ को ही लगाया जाता हैं और आने वाले दर्शनार्थी पीठ के दर्शन करते हैं। स्थानीय लोग इसे पीठ पूजाना कहते हैं। देवी प्रतिमा की पीठ पर प्रतिदिन सिंदूर लगाया जाता है और कनेर के पत्तों से श्रृंगार किया जाता है। देवी को नियमित रूप से दाल-बाटी का भोग लगाया जाता है।
इस मंदिर में 400 सालों से अखंड ज्योति जल रही हैं!
ब्रह्माणी माता के प्रति इस अंचल में लोगों की गहरी आस्था है,लोग यहां आकर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर मानता के अनुसार पालना, छत्र या कोई और वस्तु मंदिर में चढ़ाता है। जब यहां ब्रह्मणी माता का प्राकट्य हुआ और वह सोरसन के खोखर गौड़ ब्राह्मण पर प्रसन्न हुई थी, तब से खोखरजी के वंशज ही मंदिर में पूजा करते हैं। परंपराओं में एक गुजराती परिवार के सदस्यों को सप्तशती का पाठ करने, मीणों के राव भाट परिवार के सदस्यों को नगाड़े बजाने का अधिकार मिला हुआ है।
गर्दभ मेले का आयोजन:
सोरसन ब्रह्माणी माता के मंदिर पर साल में एक बार शिवरात्री के अवसर पर गर्दभ मेले का आयोजन होता है। इस मेले में पहले कई राज्यों से गधों की खरीद-फरोख्त होती थी।अब बदलते समय के साथ-साथ यहां लगने वाले गर्दभ मेले में गधों की कम और घोड़ों की ज्यादा खरीद-फरोख्त होने लगी हैं।
ऐतिहासिक स्थल होने के बावजूद इसकी देख-रेख नहीं की जा रही हैं। मंदिर के पास स्थित कुंड वीरान पड़ा रहता हैं। यहां आकर पिकनिक मनाने वाले पर्यटकों के लिए भी कोई खास इंतजाम नहीं हैं. इस स्थान पर बहने वाले झरने में बारिश के दिनों में पर्यटकों की जमकर भीड़ रहती हैं। उसमें बोटिंग की व्यवस्था कर के इस स्थान को पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बनाया जा सकता है लेकिन लंबे समय से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं।
पता:
ब्रह्माणी माता मंदिर,
सोरसन, जिला-बारां,
राजस्थान- 325202
- बारां कैसे पहुंचे:
- हवाई मार्ग :
अगर आप हवाई मार्ग से ब्राह्मणी माता मंदिर बारां की यात्रा करना चाहते हैं, तो बारां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा है, जो बारां से लगभग 250 कि.मी की दूरी पर स्थित है। जयपुर हवाई अड्डा, हवाई मार्ग से भारत के प्रमुख शहरो से जुड़ा हुआ है तो आप भारत के किसी भी प्रमुख शहर से फ्लाइट से यात्रा करके जयपुर हवाई अड्डा पहुंच सकते है और हवाई अड्डा से टैक्सी, कैब या बस की मदद से ब्राह्मणी माता मंदिर बारां पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग:
बारां शहर राज्य के कई शहरों जैसे जयपुर, अजमेर, कोटा के अलावा देश के अन्य राज्य उत्तर प्रदेश, दिल्ली से भी सडक मार्ग जुड़ा हुआ है। बारां शहर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं जो निजी और सरकारी मालिकों दोनों के द्वारा संचालित की जाती हैं। तो आप राजस्थान के प्रमुख शहरों से बस, टैक्सी या अपनी कार से यात्रा करके ब्राह्मणी माता मंदिर बारां पहुंच सकते हैं।
- जयपुर-बारां, सोरसन: कोटा रोड़ : 6 घंटे 53 मिनिट (308 कि.मी )
- इस रास्ते पर टोल हैं।
- रेल मार्ग:
बारां रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख हिस्सों से नियमित ट्रेनों द्वारा जुड़ा हुआ है। इस रेलवे स्टेशन से भोपाल, जयपुर, जोधपुर और कोटा के लिए ट्रेनें नियमित रूप से उपलब्ध हैं। रेलवे स्टेशन बारां के केंद्र से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी या बस की मदद से ब्राह्मणी माता मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
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