कंप्यूटर की जनरेशन
कंप्यूटर की जनरेशन में हमने कम्प्यूटर का जन्म कैसे हुआ और कैसे उसका विकास हुआ उसके बारे में जाना था। इस बार हम कंप्यूटर के आने के बाद में उनमे कोन कोन सी कंप्यूटर की जनरेशन आयी और कोन से समय में कैसे उसमे बदलाव आये उसके बारे में जानेंगे।
कम्प्यूटर का दौर अभी पांचवी जनरेशन में चल रहा हे तो आपने पांचवी जनरेशन के कम्प्यूटर्स देखे होंगे और आपने शायद चौथी जनरेशन के कम्प्यूटर्स भी देखे होंगे। लेकिंग उसके आलावा आज हम पहली ,दूसरी और तीसरी जनरेशनस के कंप्यूटर के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए उसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हे।
1.कंप्यूटर की जनरेशन First Generation(1946-1956):
कंप्यूटर की जनरेशन में पहले कम्प्यूटर के बाद जो दस साल तक जो कंप्यूटर में बदलाव हुए और नए नए कंप्यूटर आते रहे उसे फर्स्ट जनरेशन ऑफ़ कम्प्यूटर्स कहते हे। फर्स्ट जेनरेशन्स ऑफ़ कम्प्यूटर्स में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट(electronic circuit) के रूप में वैक्यूम ट्यूब(vacuum tubes) का उपयोग किया गया था।
वैक्यूम ट्यूब का आविष्कार 1904 में जॉन फ्लेमिंग नाम के वैज्ञानिक ने किया था। वैक्यूम ट्यूब एक कांच से बनी ट्यूब होती थी इसमें से हवा को पूरी तरह से निकाल कर उसमे से इलेक्ट्रोन को प्रवाहीत किया जाता था। उसमे से इसे इलेक्ट्रिक करंट प्रवाहीत होने से वो बहुत ज़्यादा गरम हो जाती थी।
और उसे ठंडा करने के लिए एयर कंडीशन की ज़रूरत रहती थी। और ऊपर से फर्स्ट जनरेशन के कम्प्यूटर्स की साइज 30 by 40 के रूम के बराबर होती थी जो की बहुत बड़ी साइज हे। और इसका वज़न भी 30 टन के जितना होता था आप सोच सकते हे की इसको किसी और जगह पे ले जाना नामुमकिन था।
और इस कंप्यूटर को चलने के लिए जो पावर चाहिए होती थी वो तक़रीबन 1,50,000 वोट की एनर्जी चाहिए होती थी और आप अंदाज़ा लगा सकते हे की वो कंप्यूटर भी कितनी कम स्पीड में काम करता होगा।
उसमे इनपुट , आउटपुट और प्रोसेसिंग स्पीड बहुत कम होती थी। और जिससे सभी कार्य बहुत धीरे धीरे होते थे। इनपुट के रूप में इसमें पंचकार्ड का उपयोग किया गया। प्राइमरी मेमोरी के रूप में मैगनेटिक ड्रम का उपयोग किया गया।
उदाहरण : ENIAC कंप्यूटर , IBM 360 कंप्यूटर , UNIVAC कंप्यूटर, EDSAC computer
इन सब कंप्यूटरस के बारे में मेने पिछले आर्टिकल में बात की हे उसे जानने के लिए ये लिंक पर क्लिक करे।
इन सब कम्प्यूटर्स में जो लैंग्वेज उपयोग की गयी थी वो low level language थी। जिसमे मशीनी लैंग्वेज या binary language (O and 1 number code language) का उपयोग होता था। और धीरे धीरे assembly language का भी उपयोग होने लगा।
कंप्यूटर की जनरेशन पहली के कंप्यूटर स्लो होने के कारण उनके दो ही उपयोग होते थे। कंपनी में कर्मचारियों का पैरोल प्रोसेसिंग (payroll processing) में और चीज़ो का रिकॉर्ड रखने के लिए उपयोग किया जाता था।
2.दूसरी जनरेशन/Second generation(1956-1964) :
कंप्यूटर की जनरेशन दूसरी के कम्प्यूटर्स में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट(electronic circuit) के रूप में वैक्यूम ट्यूब(vacuum tubes) की जगह पे ट्रांसिस्टर(Transistor) का उपयोग होने लगा। वैक्यूम ट्यूब(vacuum tubes) बहुत बड़ी होती थी जिससे ट्रांसिस्टर(Transistor) आकार में काफी छोटा होता था। और उसकी वजह से कंप्यूटर की साइज काफी छोटी हो गयी।
पहले कंप्यूटर की साइज एक रूम जितनी होती थी अब उस कंप्यूटर की साइज दूसरी जनरेशन में एक अलमारी की जीतनी हो गयी।
- सेकंड जनरेशन के कंप्यूटर में मेमोरी के स्वरूप में मेग्नेटिक कोर (magnetic core memory)का उपयोग हुआ।
- इनपुट के रूप में पंचकार्ड का उपयोग हुआ। पहली जनरेशन के कंप्यूटर में जितना पावर चाहिए होता था उससे कम पावर ये कंप्यूटर उपयोग में लेता था। इसलिए कम इलेक्ट्रिसिटी की ज़रूरत पड़ती थी। ये कंप्यूटर में एयर कंडीशन की भी पहली जनरेशन के मुकाबले कम ज़रूरत पड़ती थी। और सबसे बढ़िया तो ये था के पेहली जनरेशन के मुकाबले इसमें इनपुट , आउटपुट और प्रोसेसिंग के सभी कार्य बहुत ही स्पीड से होते थे।
- Computer के स्टोरेज स्पेस(Storage space) भी बढ़ गयी और लौ लेवल लैंग्वेज (LLL)की जगह पे हाई लेवल लैंग्वेज(HLL) का उपयोग होने लगा। HIGH LEVEL LANGUAGE में COBOL , FORTRAN जैसी लैंग्वेज इस्तेमाल होने लगी।
जिससे कंप्यूटर का उपयोग और ज़्यादा आसान हो गया। क्यूंकि पहले लौ लेवेल लैंग्वेज का उपयोग होता था और अब हाई लेवल लैंग्वेज का उपयोग होने लगा।
IBM ने भी एक कंप्यूटर बनाया जो IBM 1401 था जो सेकंड जनरेशन का कंप्यूटर था। उसके आलावा था UNIVAC -110 । सेकंड जनरेशन के कंप्यूटर में ट्रान्सिस्टर की वजह से काफी क्रांति आयी। और इस ट्रांसिस्टर की शोध 1947 में अमेरिका की बेल लेबोरेटरी में तीन वैज्ञानिको ने मिलकर की। और सेकंड जनरेशन कंप्यूटर के दोरान डिस्क और कैसेट का भी उपयोग होने लगा था।
इस कंप्यूटर का हम पेरोल के लिए तो इस्तेमाल तो करते ही थे पर अब हम File store ,फाइल अपडेशन(File updation) में और बिलिंग(Billing) में भी इस्तेमाल करने लगे । (topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
3.तीसरी जनरेशन /Third generation (1965 -1975 ):
तीसरी जनरेशन के कंप्यूटर को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हे क्यूंकि ये कम्प्यूटर आम आदमी तक पहुंच गया और इसका उपयोग विद्यार्थी एड्युकेशन के लिए , वेपारी व्यवसाय के क्षेत्र में करने लगे। तीसरी जनरेशन के कम्प्यूटर की महत्वपूर्ण बात ये भी हे के इसको इतना छोटा बनाया गया की इसको एक टेबल पर भी आसानी से रखा जा सकता था।
और ये बदलाव आया नयी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट की वजह से। आपने आगे देखा होगा की दूसरी जनरेशन के कम्प्यूटर्स में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के रूप में ट्रांसिस्टर(Transistor) का उपयोग हुआ था लेकिन तीसरी जेनरेशन्स के कम्प्यूटर्स में IC (integrated circuit ) का उपयोग होने लगा। (topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
September,1958 Jack Kilby और Robert Noyce ने IC का अविष्कार किया । IC (integrated circuit ) में बहोत सारे ट्रांसिस्टर(Transistor), केपेसीटर (capacitor) , रजिस्टर (registers) एक साथ फिट किया जा सकते थे। और इस टेक्नोलॉजी की मदद से कंप्यूटर की साइज और छोटी हो गयी और कंप्यूटर में तीसरी जनरेशन ने जन्म लिया।
- मेमॉरी की बात करे तो इसमें HD (हार्ड डिस्क ) , FD (फ्लोपी डिस्क) , CD (कॉम्पैक्ट डिस्क ), DVD (डिजिटल वर्सटाइल डिस्क ) वगेरेह का उपयोग होने लग गया।(topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
- इस कंप्यूटर में प्राइमरी मेमरी के रूप में RAM(Random-access memory) का उपयोग होने लगा।(topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
स्पीड की बात करे तो तीसरी जनरेशन के कंप्यूटर आगे की जनरेशन्स से काफी तेज़ रहे। हर एक कार्य को काफी तेज़ गति से पूरा किया जा सकता था। ये कम्प्यूटर्स को लगभग सभी क्षेत्रों में काम आने लगे। और ये जनरेशन के कंप्यूटर ज़्यादा युज़रफ़्रेंडली भी थे क्यूंकि ये कम्प्यूटर्स में ज़्यादा मात्रा में हाई लेवल लैंग्वेज का उपयोग होने लगा था।
- अलग अलग संस्थाओ में रिकॉर्ड रखने के लिए और बिलिंग जैसे कार्यो के लिए कंप्यूटरस का उपयोग बढ़ गया।
- और ये ही जानने लायक हे की तीसरी जनरेशन के कंप्यूटर में माइक्रो प्रोसेसर (microprocessor) का भी अविष्कार हुआ। (topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
- इस कंप्यूटर में DOC (disk operating system) का उपयोग होने लगा। उसके बाद तो DOS के सपोर्ट करते हुए सॉफ्टवेयर भी बनने लग गए। जिसकी वजह से इस दौरान प्रिन्टर(printer ), स्कैनर (scanner ) का अविष्कार हुआ हुआ। उसी समय C लैंग्वेज भी बनी। इसको आसानी से समझा जा सकता था और लोगो को कंप्यूटर का उपयोग करना आसान बन गया।(topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
4.चौथी जनरेशन /Fourth Generation(1975-1985) :
चौथी जनरेशन के कम्प्यूटर्स आते ही सूचनाक्षेत्र(information technology) में क्रांति आ गयी। चौथी जनरेशन के कम्प्यूटर्स में VLSI का उपयोग होने लगा। VLSI मतलब Very large-scale integration (VLSI) होता हे।
जिसका मतलब एक ऐसी IC(integrated circuit ) बनाई जाय जिसमे एक ही चिप पर लाखो की संख्या में ट्रांजिस्टर (Transistor) लगाए जाते हे। और इस तरह की IC का उपयोग आज के कम्प्यूटर्स में भी होता हे।
- चौथी जेनरेशन्स के कम्प्यूटर्स बहुत तेज़ गति से किसी भी कार्य को करते थे।
- ये कंप्यूटर को कम पावर यानि की कम इलेक्ट्रिसिटी की ज़रूरत पड़ती थी।
- जो तीसरी जनरेशन के कम्प्यूटर्स थे उनसे इस कंप्यूटर का आकर और कम हो गया।
- चौथी जनरेशन के कम्प्यूटर्स का उपयोग शिक्षा और व्यापर के सभी क्षेत्रों में बहुत ज़्यादा बढ़ गया।
- माइक्रो कम्प्यूटर्स और मिनी कम्प्यूटर्स का उत्पादन माइक्रो प्रोसेसर के आधार पर शुरू हो गया। ऐसा कह सकते हे के लैपटॉप का दोर भी शुरू हो गया।(topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
Apple और IBM जैसी कम्पनीओ ने कम्प्यूटर्स बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहला माइक्रो कंप्यूटर MITS कंपनी ने बनाया था। और ये भी जाने लायक हे की सबसे पहले माइक्रो प्रोसेसर का अविष्कार 1971 में ही M.E.HAUF के द्वारा हो चूका था। और इसी समय में पहले सुपर कंप्यूटर का भी अविष्कार हुआ था। इस सुपर कंप्यूटर को Cray 1 कहा गया।
फिर बाद में WINDOWS और apple के नये नये ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर आने लगे। जो window MS और apple OS थे। जिन कंपनीओ के बारे में आप बखूबी जानते ही हे। ईसि के चलते LAN (local area network) और WAN (wide area network ) का भी जन्म हुआ। (topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
LAN एक ऐसा नेटवर्क कनेक्शन हे जो कम्प्यूटर्स को छोटे एरिया में कम्प्यूटर्स को एक दूसरे से जोड़ता हे। जैसे की स्कूल में , ऑफिस में , घर में , प्रयोगशाला और कॉलेज या यूनिवर्सिटी में कंप्यूटरस को एक दूसरे से जोड़ने का काम LAN से होता हे। जिसमे कई बार LAN cables का उपयोग होता हे।(topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
जब की दूर दूर अंतर में कम्प्यूटर्स को जोड़ने का काम WAN का हे। LAN और WAN की मदद से एक कंप्यूटर को दूसरे कम्प्यूटर्स से जोड़कर इनफार्मेशन का आदान प्रदान होने लगा।
चौथी जनरेशन में कंप्यूटर का उपयोग आम लोगो के लिए और आसान हो गया और आम लोग भी अपने अंगत काम के लिए उसे खरीद कर उपयोग में लेने लग गए।(topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
5.पांचवी जनरेशन/Fifth generation(1985-आजतक) :
चौथी जनरेशन में आपने देखा की VSLI चिप का उपयोग किया गया था। पांचवी जनरेशन में VLSI के साथ USLI की चिप का भी उपयोग किया गया। (topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
ULSI चिप की वजह से पांचवी जनरेशन में लैपटॉप,PDA(Personal digital assistant) , DESKTOP ,मोबाइल , इंटरनेट वगैरह का आविष्कार हुआ। इन सब की वजह से इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र ज़्यादा तेज़ हो गया।
- ईमेल का उपयोग होने लगा। वर्ल्ड वाइल्ड वेब (www) जो हम वेब साइट के अड्रेस में उपयोग करते हे उसका जन्म हुआ।(topic : कंप्यूटर की जनरेशन)
- कंप्यूटर का साइज बहुत कम हो गया। उससे एक जगह से दूसरी जगह पे आराम से ले लिया जा सकता था।
- कंप्यूटर की स्पीड भी बहुत बढ़ गयी। कई कार्य और गिनतिआ चन्द सेकण्ड्स में होने लगी।
- उसके आलावा मल्टीमीडिया का विकास हुआ। मल्टीमीडिया एक ऐसा विषय हे इसमें कई तरह के संचार जैसे इमेज , वीडियो , लिखावट (text) , एनिमेशन वगैरह का समावेश होता हे।
- आज के कंप्यूटर के क्षेत्र में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) का विकास बढ़ता ही जा रहा हे। और आने वाले समय में ये कई कार्य इंसान की तरह ही करने लगेगा और कई देशो में तो कर भी रहा हे।
- और आने वाले दौर में ऐसे भी कम्प्यूटर्स आएंगे जो आज के कंप्यूटर से हज़ारो गुना ज़्यादा ताकतवर होंगे और वो इतने छोटे होंगे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उसमे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस(artificial intelligence) सबसे ज़्यादा रोल अदा करेगा।
तो ये थे पांचवी कंप्यूटर की जनरेशन के कम्प्यूटर्स। हम ज़रूर कह सकते हे के आने वाले टाइम में ऐसे कंप्यूटर होंगे जो इंसान के बहुत सारे काम अपनेआप ही कर सकेंगे इसमें कोई शक नहीं हे। जो हमारे काम करने के तरीके को ही बदल देगा। आशा करता हूँ के कंप्यूटर के इतिहास में कम्प्यूटर्स के जनरेशन में आपने बहुत कुछ आज जाना होगा।
बहुत कुछ बाते आपको दिलचस्प भी लगी होगी। आपको भीकंप्यूटर की जनरेशन की कोनसी बात अच्छी लगती हे ? उसे कमेंट बॉक्स में ज़रूर मेंशन करे। आपका कोई सवाल हो या अगर मुझसे कोई बात छूट गयी हो तो उसे कमेंट करके ज़रूर बताये। ऐसे ही ज्ञान प्राप्त करते रहे। में भी आपको ऐसी बाते बताता रहूँगा। धन्यवाद !
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