कम उम्र में बाल सफेद होने के कारण और इस समस्या से बचने के तरीके

 

बाल सफेद होने के कारण और इस समस्या से बचने के उपाय यहां जानें... क्योंकि बालों की सफेदी सिर्फ उम्र या खूबसूरती से जुड़ा मामला नहीं है बल्कि आपकी सेहत से जुड़ी बात भी है...

 
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बालों का सफेद होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन यदि बाल समय से पहले सफेद होने लगें तो मेडिकल भाषा में इस समस्या को कैनिटाइस कहते हैं। जब उम्र बढ़ने लगती है तो शरीर में मेलेनिन का उत्पादन धीमा हो जाता है। मेलेनिन वह अवयव है, जो बालों को रंग देता है।
बूढ़े होते शरीर में मेलेनिन का उत्पादन कम होने से बढ़ती उम्र में बाल सफेद होने लगते हैं। लेकिन यदि कम उम्र में बाल सफेद हो रहे होते हैं तो इसका अर्थ होता है कि आपके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो गई है। साथ ही कम उम्र में सफेद होते बाल इस बात का संकेत भी हो सकते हैं कि आपके शरीर में कोई गंभीर रोग धीरे-धीरे पनप रहा है।

कम उम्र में बाल सफेद होने के मुख्य कारण
-पोषक तत्वों की और किसी रोग के संकेत होने के साथ ही कई बार अनुवांशिक कारणों की वजह से भी ऐसा होता है। यहां हम उन जरूरी पोषक तत्वों के बारे में जानेंगे, जिनकी कमी के कारण आमतौर पर बाल सफेद होते हैं...

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बाल सफेद होने के कारण


प्रोटीन की कमी
-प्रोटीन की कमी के कारण बालों का सफेद होना एक बहुत ही सामान्य कारण है। यह एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण ज्यादातर लोगों में कम उम्र में सफेद बालों की समस्या देखने को मिलती है।

विटमिन बी 12 की कमी
-शरीर में विटमिन्स और मिनरल्स की कमी भी बालों में सफेदी का कारण होती है। लेकिन जिस विटमिन की कमी के कारण बालों के सफेद होने की समस्या बहुत तेजी से बढ़ती है, वह है विटमिन बी-12, इस विटमिन के बारे में और इसे प्राप्त करने के शाकाहरी विकल्पों के बारे में हम आपको इस स्टोरी में बता चुके हैं। आप यहां क्लिक करके जान सकते हैं-

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चुनिंदा चीजों से मिलता है विटमिन-बी12, इन कामों के लिए होती है इसकी जरूरत

इन बीमारियों के कारण होते हैं बाल सफेद

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इस हॉर्मोन की कमी के कारण होते हैं बाल सफेद


थायरॉइड की कमी के कारण
-हाइपोथायरॉइडिज़म के कारण भी बाल तेजी से सफेद होते हैं। यह समस्या शरीर में तब होती है जब थायरॉइड ग्लैंड्स में हॉर्मोन का उत्पादन कम हो जाता है।

डाउन सिंड्रोम
-डाउन सिंड्रोम अनुवांशिकता से जुड़ा एक विकार होता है। यानी जिस व्यक्ति को यह समस्या होती है, उसके परिवार में पहले भी किसी को इस तरह की समस्या रही होती है। डाउन सिंड्रोम में व्यक्ति के चेहरे, नाक और गर्दन के आकार में बदलाव होने लगता है।

-चेहरा और नाक चपटी हो जाती है और गर्दन का आकार सिकुड़ जाता है। इसके साथ ही बाल सफेद होने लगते हैं। अनुवांशिक बीमारी होने के कारण इस समस्या का संपूर्ण निदान फिलहाल संभव नहीं है।

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विटमिन-बी 12 की कमी के कारण


वर्नर सिंड्रोम
-वर्नर सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की त्वचा का रंग बदलने लगता है, उसे धुंधला दिखने लगता है या मोतियाबिंद हो जाता है। यह भी एक अनुवांशिक बीमारी है, जिससे ग्रसित व्यक्ति कम उम्र में ही बुढ़ापे का शिकार हो जाता है।

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